Wednesday, July 8, 2009

IIT


हम केजीपी (IIT KGP)अइनी,
आके इहवा पछतईनी. (२)
देख इहवा के लाइफ ,
फ्रूस्त (frustrated) हो गईनी.
हो गईनी.

अब का करीं हम ए माई?
आगे कुआ बा, आ पीछे खाई.

हम केजीपी अइनी ,
आके इहवा पछतईनी.

दुनिया IIT KGP के नम्बर वन समझेला लेकिन मोस्ट ऑफ़ द जनता इहा फ्रूस्त रहेला .
देखे के की भभुआ जिला के एगो लईका के एह बारे में का कहे के बा :

सोचनी हा मन से खूब पढ़ब,
आगे दुनिया में नाम करब .(२)
क्लास्वा में माई रे नींद आवेला ,
का जाने पेपर में का लिखब.

प्लान का रहे का कर दिहनी,
बींच मझधारवा में रह गईनी.

अब का करीं हम ए माई ?
आगे कुआ बा, आ पीछे खाई .

हम केजीपी अइनी,
आके इहवा पछतईनी .


जींदगी झंड होवेला इहवा, जींदगी झंड होवेला .

बबुआ हो, कहत रहनी हां नु की बोम्बे चाहे दिल्ली ले ल,
काहे न मनला हां ... आ?

अकैडवे(Academics) न खाली मखाइल बा ,
देहवो के हाल गडबडाइल बा.
खा के मेसवा के खानवा ,
जान में बन आइल बा.

वैलुओ आपन कुछु नाही बाटें,
डांटे प कुकुरो दौड़ा के काटे (२)

अब का करीं हम ए माई
आगे कुआ बा, आ पीछे खाई

हम केजीपी अइनी,
आके इहवा पछतईनी

देख ई सब होवेला , इहे में कोम्प्रोमैइज कर ल.
अरे दुनिया में दुःख सुख आई जाई अब इहे में न जीए के बा ?
ललनवा के देखेला ? BIT Mesra में न बा ,आ ओही में मस्त रहेला.
अरे भाई कर्नाटको से गइल गुजरल बा? देख त बबुलवा के दस हज़ार के नौकरी लागल बा . तू काहे झूठो टेंसअनिया जाला?

आके इहवा पछतईनी.

अब का करीं हम ए माई?
आगे कुआ बा, आ पीछे खाई.

हम केजीपी अइनी,
आके इहवा पछतईनी .(रोते हुए )

मत रोअ मत रोअ
अब पछतावे से कुछु होई?
अरे जाए दा मरदे ते नाही इतनो ख़राब नइखे .
IIT हां IIT, दाल भात के कौर ना ह .

maaf karab e rachana hamar na ha balki saura bhai ke h. baki
hamra nik lagal t dal det bani.

Monday, July 6, 2009

किस्सा पचीसा [भोजपुरी लोक कहावत]

1. ना नौ मन तेल होई न राधा नाची ।
2. चिरइ के जान जाए लईका के खेलौना ।
3. न रही बाँस न बाजी बसुरी ।
4. सौ सोनार के एक लोहार के ।
5. नापल जोखल थाहे लईका डुब गेल काहे ।
6. चानी सोना मे लाग जाइ काई, दमडी के गोदना सँगे जाइ ।

7. रहली मे दु जनी पादली मे कव जानी ।
8. नाच न आवे अँगनवे टेढ ।
9. मन चँगा त कठौती मे गँगा ।

10. बाप के नाम साग पात, पुत के नाम परोरा ।

11. एगो अनार सौ गोडे बिमार ।
12. जे खाए सुअर के गोस्त , उ कैसे मियाँ के दोस्त ।
13. झोरी मे झाट फुटहा ना सराय मे डेरा ।
14. नया नौ दिन पुराना सौ दिन ।
15. दिन भर हर पर , रात के चहर पहर ।
16. पकडे के गोड त पकडले बारे सोर ।
17. पानी मे मछरी नौ नौ कुटिया बखरा ।
18. कौआ चले बगुला के चाल ।
19. दु अक्षर पढ लिया गुरुजी को दुख दिया ।

20. मेहरी के खीस डेहरी पर ।

21. सौती के खीस कठौती पर ।
22. बानर के गर मे रुद्राक्ष के माला ।
23. बाडी पुजा पर मन बा भूजा पर ।
24. माँगे के भीख पादे के बीख ।
25. लोग कहे आम त ई कहे ईमली ।
26. राम राम जपना पराया माल अपना ।
27. सकल चुडइल के मजमुन परी के ।
28. नाम चंपवा खुश्बु हए ना ।
29. सराहल बहूरिया डोम घरे जाली ।
30.

सावन के घिरते बादल

कितने मनोहर कितने प्यारे,
सावन के ये घिरते बादल,
बिजली को चमकाते शोला को है और भडकाते,
पत्थर को पानी बनाते बादल,
मधु स्वपनोँ पर छा जाते बादल,
सावन के ये घिरते बादल ।

प्रकति के ये राज दुलारे,
गोपियो के ये माधव प्यारे,
मोर संग घनघोर बन नाचे बादल,
ये आवारा पागल बादल,
सावन के ये घिरते बादल ।

उमडते घुमडते आगे बढते,
काश ! यही पर फुटकर गिर पडते,
सागर सा उफनते बादल,
सबका मन मोह ले जाते बादल,
उफ! सावन के ये घिरते बादल ।

कहता है "भोजपुरिया भईया" अब और न तरसाओ बादल,
दिल मे न शोला भडकाओ बादल,
धरती पुकार रही-
अब हमारी भी प्यास बुझाओ बादल,
आशाओ को न आँसु बनाओ बादल,
घनघोर बन बरस जाओ भी बादल,
हाय! सावन के ये घिरते बादल ।

copyright 2009