Tuesday, June 22, 2010

भाग - 3

1। दुआओँ की भीड मे इक दुआ हमारी ,
जिसने माँगी खुशी तुम्हारी,
जब भी हँसी तुम दिल से ,
समझो दुआ कबुल हुई हमारी

।2। हर एक राज़ राज़ होती है ,
दिल टुटने पर भी आवाज होती हैँ ,
ये जरुरी नही की हर कोई ताजमहल बनवाए,
लेकिन हर एक के दिल मेँ मुमताज होती हैं

।3। यादोँ की कीमत वो क्या जाने ,
जो यादोँ को एक लम्हा समझकर भुला देते हैँ ,
यादोँ कि कीमत उनसे पुछिए,
जो यादो के सहारे जिँदगी गुजार देते हैँ

।4। तेरा चेहरा एक कमल समझता हुँ ,
चाँदनी का एक बदन समझता हुँ ,
तेरी दो आँखे नही ये दो दिये हैँ ,
तेरी शरारत एक गजल समझता हूँ

।5। बडी दुआओँ से माँगा है तुझे ,
बडी मन्नतोँ के बाद पाया है तुझेँ,
तुझे भुलने की कोशिश भी करु तो कैसे,
किस्मत कि लकीरोँ से चूराया है तुझेँ

।6। रेत पर नाम कभी लिखते नही ,
रेत पर नाम कभी टिकते नही ,
लोग कहते है हम पत्थर दिल है ,
पत्थर पर लिखे नाम कभी मिटते नही

।7। आपकी एक अदा मुसकुराने की ,
आपकी एक अदा दिल चुराने की ,
एक चाँद सा चेहरा आपका ,
एक जिद हमारी उस चाँद को पाने की ।

8। न चाहोँ किसी को इतना की,
चाहत तूम्हारी मजबुरी बन जाए ,
चाहो तुम किसी को इतना,
कि तुम्हारी चाहत उसके लिए जरुरी बन जाएँ

।9। मत करो कोई वादा जिसे तुम निभा न सको ,
मत चाहो उसे जिसे पा न सको ,
किसका प्यार यहाँ पूरा होता हैँ ,
इसका तो पहला अक्षर ही अधुरा होता हैँ

।10। फुल बनकर मुस्कुराना जिँदगी हैँ,
मुस्कुरा कर गम छुपाना जिँदगी हैं,
मिलकर खुश हुए तो क्या हुए ,
बिना मिले रिश्ते निभाना जिँदगी हैँ ।

** भाग 2 समाप्त **

Sunday, June 20, 2010

हमार प. चम्पारण

इहे पश्चिम चंपारण हवे बीरन के जन्मवले बा,
आजादी के महासमर मे ऊपरे नाम लिखवले बा ।
इहवा भईले विपिन प्रजापति भईले शेख गुलाब ,
गुलाब चन्द्र गुप्ता इहवा के बाबु शीतल राय ,
कमलनाथ कपिलदेव के अपने अंगना मे खेलवले बा ।
आजादी के महा........

राजकुमार शुक्ल गाँधीजी के इहवे ले के अइले ,
जोर जुल्म निलहा गोरन के संगे खुब खेलवले बा ,
बेतिया हजारीमल धर्मशाला उनका ठहरवले बा ,
आजादी के महा........

मनोज बाजपेयी प्रकाश झा बाँलीवुड मे धाक जमवले बा ,
शिक्षा जगत मे नाम कमवले बा ,
बिहार के हर शुभ काम के शुभारम्भ अपने भुमि से करवले बा ,
इहे भुमि सारा विश्व के सत्याग्रह के पाठ पठवले बा ।
आजादी के महा.......

Thursday, June 17, 2010

हमार मनपसँद शेर-ओ- शायरी , भाग - 2

1.
फुल कहते हैँ चमन बदल गए ,
तारेँ कहते हैँ गगन बदल गए ,
तुम कहते होँ हम बदल गए ,
लेकिन ! श्मशान कि खामोशी यही कहती है ,
मुर्दे वही है सिर्फ कफन बदल गए ।

2.
गमीँ हसरते नाकाम से जल जाते हैँ ,
हम चिरागोँ की तरह शान से जल जाते है,
शमाँ जिस आग मेँ जलती है नुमाइश के लिए .
हम उसी आग मे गुमनाम से जल जाते है ।

3.
जिँदगी किसी की मुहताज नही होती ,
दोस्ती सिर्फ जज्बात नही होती ,
कुछ तो ख्याल आया होगा खुदा को ,
वरना युँ ही तुमसे मुलाकात न होती ।

4.
एक शाम मैँ घर से निकला ,
दिल मेँ कुछ अरमान था ,
एक तरफ थी झाडिया
दुसरी तरफ श्मशान था ,
एक हड्डी पैर से टकराई ,
उसका यही बयान था ,
ऐ मुसाफिर देख के चल मैँ भी कभी इंसान था ।

5.
ज़नाजा रोककर मेरा वो इस अंदाज मे बोले ,
मैने तो गली कही थी , तुम तो दुनिया ही छोड चले ।

6.
फुल बनकर मत जीओ , क्योँकि
एक दिन मर जाओगे तो दफना दिए जाओगे ,
जीना है तो पत्थर बनकर जीओ ,
कभी तरासे जाओगे तो खुदा कहलावोगे ।

7.
कोई आँखो आँखो मे बात कर लेता हैँ ,
कोई आँखो मे मुलाकात कर लेता हैँ ,
बडा मुश्किल होता हैँ जबाब देना ,
जब कोई खामोश रहकर भी सवाल कर देता है ।

8.
दुआओ की भीड मे एक दुआ हमारी ,
जिसने माँगी खुशी तुम्हारी ,
जब भी हँसी तुम दिल से ,
समझो दुआ कबुल हुई हमारी ।

9.
हर एक राज़ राज होती हैँ ,
दिल टुटने पर भी आवाज होती हैँ ,
ये जरुरी नही की हर कोई ताजमहल ही बनवाएँ ,
लेकिन हर एक के दिल मे मुमताज होती है ।

10.
वक्त को न जिसने समझा ,
धुल मे वह मिल गया ,
वक्त का साया रहा तो फुल बनकर खिल गया ,
समझो यारोँ वक्त की इस अनोखी चाल को ,
वक्त से कदम मिलाओँ वक्त तुमसे मिल गया ।

मैँ कौन हुँ ?

मैँ कौन हुँ ?
इस अजनबी सी दुनिया मे
अकेला इक ख्वाब हुँ ।
सवालो से खफा, छोटा सा जबाब हुँ ।
जो ना समझ सके उनके लिए "कौन".
जो समझ सके उनके लिए किताब हुँ ।
दुनिया कि नजरोँ मे जाने क्युँ चुभा सा ,
सबसे नशीला और बदनाम शराब हुँ ।
सर उठा के देखो, वो देख रहा है तुमको,
जिसको ना देखा उसने,
वो चमकता आफताब हुँ ।
आँखो से देखोगे, तो खुश मुझे पाओगे,
दिल से पुछोगे तो दर्द का सिलसिला हुँ ।

मैँ तो वो एहसास हुँ, जो तुझ मे लहु बन कर गर्दिश करेँ ,
मैँ तो वो रंग हुँ , जो तेरे दिल तेरे दिल पे चढा रहे तो कभी ना उतरे ,
मैँ वो गीत हुँ , जो तेरे लबोँ से कभी जुदा ना होगा ,
मैँ वो परवाना हुँ ,
जो जलता रहेगा पर उफ़ तक नही करेगा ,
ख्वाब, इबारत , हवा के झोँका कि तरह , चार बूँद शमां की तरह ,
मेरे मिटने का सवाल नहीँ ,
क्योँकि मैँ "मुहब्बत" हुँ ।