Thursday, June 17, 2010

मैँ कौन हुँ ?

मैँ कौन हुँ ?
इस अजनबी सी दुनिया मे
अकेला इक ख्वाब हुँ ।
सवालो से खफा, छोटा सा जबाब हुँ ।
जो ना समझ सके उनके लिए "कौन".
जो समझ सके उनके लिए किताब हुँ ।
दुनिया कि नजरोँ मे जाने क्युँ चुभा सा ,
सबसे नशीला और बदनाम शराब हुँ ।
सर उठा के देखो, वो देख रहा है तुमको,
जिसको ना देखा उसने,
वो चमकता आफताब हुँ ।
आँखो से देखोगे, तो खुश मुझे पाओगे,
दिल से पुछोगे तो दर्द का सिलसिला हुँ ।

मैँ तो वो एहसास हुँ, जो तुझ मे लहु बन कर गर्दिश करेँ ,
मैँ तो वो रंग हुँ , जो तेरे दिल तेरे दिल पे चढा रहे तो कभी ना उतरे ,
मैँ वो गीत हुँ , जो तेरे लबोँ से कभी जुदा ना होगा ,
मैँ वो परवाना हुँ ,
जो जलता रहेगा पर उफ़ तक नही करेगा ,
ख्वाब, इबारत , हवा के झोँका कि तरह , चार बूँद शमां की तरह ,
मेरे मिटने का सवाल नहीँ ,
क्योँकि मैँ "मुहब्बत" हुँ ।

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