Monday, July 6, 2009

किस्सा पचीसा [भोजपुरी लोक कहावत]

1. ना नौ मन तेल होई न राधा नाची ।
2. चिरइ के जान जाए लईका के खेलौना ।
3. न रही बाँस न बाजी बसुरी ।
4. सौ सोनार के एक लोहार के ।
5. नापल जोखल थाहे लईका डुब गेल काहे ।
6. चानी सोना मे लाग जाइ काई, दमडी के गोदना सँगे जाइ ।

7. रहली मे दु जनी पादली मे कव जानी ।
8. नाच न आवे अँगनवे टेढ ।
9. मन चँगा त कठौती मे गँगा ।

10. बाप के नाम साग पात, पुत के नाम परोरा ।

11. एगो अनार सौ गोडे बिमार ।
12. जे खाए सुअर के गोस्त , उ कैसे मियाँ के दोस्त ।
13. झोरी मे झाट फुटहा ना सराय मे डेरा ।
14. नया नौ दिन पुराना सौ दिन ।
15. दिन भर हर पर , रात के चहर पहर ।
16. पकडे के गोड त पकडले बारे सोर ।
17. पानी मे मछरी नौ नौ कुटिया बखरा ।
18. कौआ चले बगुला के चाल ।
19. दु अक्षर पढ लिया गुरुजी को दुख दिया ।

20. मेहरी के खीस डेहरी पर ।

21. सौती के खीस कठौती पर ।
22. बानर के गर मे रुद्राक्ष के माला ।
23. बाडी पुजा पर मन बा भूजा पर ।
24. माँगे के भीख पादे के बीख ।
25. लोग कहे आम त ई कहे ईमली ।
26. राम राम जपना पराया माल अपना ।
27. सकल चुडइल के मजमुन परी के ।
28. नाम चंपवा खुश्बु हए ना ।
29. सराहल बहूरिया डोम घरे जाली ।
30.

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