Thursday, June 17, 2010

हमार मनपसँद शेर-ओ- शायरी , भाग - 2

1.
फुल कहते हैँ चमन बदल गए ,
तारेँ कहते हैँ गगन बदल गए ,
तुम कहते होँ हम बदल गए ,
लेकिन ! श्मशान कि खामोशी यही कहती है ,
मुर्दे वही है सिर्फ कफन बदल गए ।

2.
गमीँ हसरते नाकाम से जल जाते हैँ ,
हम चिरागोँ की तरह शान से जल जाते है,
शमाँ जिस आग मेँ जलती है नुमाइश के लिए .
हम उसी आग मे गुमनाम से जल जाते है ।

3.
जिँदगी किसी की मुहताज नही होती ,
दोस्ती सिर्फ जज्बात नही होती ,
कुछ तो ख्याल आया होगा खुदा को ,
वरना युँ ही तुमसे मुलाकात न होती ।

4.
एक शाम मैँ घर से निकला ,
दिल मेँ कुछ अरमान था ,
एक तरफ थी झाडिया
दुसरी तरफ श्मशान था ,
एक हड्डी पैर से टकराई ,
उसका यही बयान था ,
ऐ मुसाफिर देख के चल मैँ भी कभी इंसान था ।

5.
ज़नाजा रोककर मेरा वो इस अंदाज मे बोले ,
मैने तो गली कही थी , तुम तो दुनिया ही छोड चले ।

6.
फुल बनकर मत जीओ , क्योँकि
एक दिन मर जाओगे तो दफना दिए जाओगे ,
जीना है तो पत्थर बनकर जीओ ,
कभी तरासे जाओगे तो खुदा कहलावोगे ।

7.
कोई आँखो आँखो मे बात कर लेता हैँ ,
कोई आँखो मे मुलाकात कर लेता हैँ ,
बडा मुश्किल होता हैँ जबाब देना ,
जब कोई खामोश रहकर भी सवाल कर देता है ।

8.
दुआओ की भीड मे एक दुआ हमारी ,
जिसने माँगी खुशी तुम्हारी ,
जब भी हँसी तुम दिल से ,
समझो दुआ कबुल हुई हमारी ।

9.
हर एक राज़ राज होती हैँ ,
दिल टुटने पर भी आवाज होती हैँ ,
ये जरुरी नही की हर कोई ताजमहल ही बनवाएँ ,
लेकिन हर एक के दिल मे मुमताज होती है ।

10.
वक्त को न जिसने समझा ,
धुल मे वह मिल गया ,
वक्त का साया रहा तो फुल बनकर खिल गया ,
समझो यारोँ वक्त की इस अनोखी चाल को ,
वक्त से कदम मिलाओँ वक्त तुमसे मिल गया ।

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